वर्ग पहेली 152
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अघविष अघहरण अघेरन अचरज अचल अचवन अचार अधिरोहण अधिलाभ अधिवासी उपकारी उपखाड़ी उपचय उपजाति कनोखी कपक कपूर कपोल
बाएँ से दाएँ
1. अनुग्राहक, अनुग्राही; उपकार करनेवाला
3. साँप, सर्प, अहि, भुजंग, उरंग, व्याल, सारंग, विषधर
4. कनखी, तिरछी नज़र, तिरछी नजर, तिरछी चितवन
7. अधिक्रम, अरोहन; सवार होने की क्रिया
8. चयापचय
9. बोनस, अधिलाभ; लाभ का वह अंश जो नियोजक कर्मचारियों में बाँटता है
11. आश्चर्य, अचंभा, अजूबा, अचम्भा, ताज्जुब, ताज़्जुब, विस्मय, हैरत,
13. गाल, रुख़, रुख; मुँह के दोनों ओर हड्डी और कनपटी के बीच का कोमल भाग
14. व्यवहार, आचरण, बरताव, बर्ताव, चाल-चलन, चाल-ढाल, ब्यवहार,
ऊपर से नीचे
1. वह वर्ग जिसमें किसी जाति के उन सदस्यों को रखा गया है जो उसी जाति के दूसरे सदस्यों से आनुवंशिक लक्षणों में थोड़े अलग हों
2. पाप का नाश
5. निवासी, आवासी, बाशिंदा, रहवासी, वासी
6. आचमन, भोजन के उपरांत हाथ मुँह धोने और कुल्ली करने की क्रिया
8. बहुत बड़ी जलराशि की शाखा
9. जौ का मोटा आटा
10. पपीहा, अत्यूह, तंजल, धनाख, धारात, बभ्रु;
11. पर्वत, पहाड़, गिरि, शैल, गिर, महिधर, तुंग, अग, स्थावर,
12. कर्पूर, रेणुसार, मिहिका, इंदु, इन्दु, हिमांशु, अब्ज, शशांक, निशारत्न,
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पहेली 151 का हल: