वर्ग पहेली 153
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घाअई घाटअ रअघासु वअच अचिंनत चिंअता चूअताक चेनताअत योअधधि रथअधि वाचअधिन वाधिचीअ णउकपर काकउपर पचाउर पशउदं कनात कसीना नेरक पीकश
बाएँ से दाएँ
1. आचमन, आचवन, अचमन, अचवन, अचौन
2. तनाहीनता, चेतनाशून्यता, बेहोशी, मूर्च्छा, मूर्छा
4. औज़ार, करण, साधन, हथियार,
8. चिकित्सा, इलाज
9. वह रेती जिससे आरे आदि के दाँतों को रगड़कर तेज बनाया जाता है
10. कुंद, कुन्द, कनैल, रंगारि, रङ्गारि,
11. निश्चिन्तता, निश्चिंतई, बेफ़िक्री,
13. बिना घाट की जगह
16. चुनाव, निर्वाचन
ऊपर से नीचे
1. तृप्ति, संतुष्टि, संतोष, तुष्टि, तोष, पेट भर खाने की अवस्था या भाव;
2. सारथी, रथवाह, सूत, रथवान, प्राजिता
3. उपकारी, उपकर्ता
5. आतशक, गरमी, फिरंग रोग
6. एक प्रकार का मोटा कपड़ा जिससे कोई स्थान आदि घेरते हैं
7. अव्यर्थ, अबध, अमोघ, विमोघ; न चूकनेवाला
11. अविचारण, किसी वस्तु,बात आदि पर विचार न करने की अवस्था या क्रिया
12. कंस का सेनापति
13. बड़ा योद्धा
14. वह अर्थीय संबंध जो ऊपरी वर्ग या गण को निर्दिष्ट करता है
15. हनुमान, पवनपुत्र, पवनसुत, पवनकुमार, बजरंग बली
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पहेली 152 का हल: