वर्गपहेली varga paheli - 870 : शैव साधुओं का एक संप्रदाय
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वचनअ लाबा हदाछाँर ड़ागान दाव नागा कटान कदीन हवपशीन नरखुपराद बाहरगा फ़ौदला
बाएँ से दाएँ
2. 1. चुप्पी; मौन 2. बुरा वचन; निंदा; दुर्वचन।
6. 1. कान में पहनने का एक प्रकार का छल्लेनुमा गहना; बड़ी बाली 2. हाथ में पहनने का कड़ा 3. गेहूँ
7. जिसमें चिकनापन न हो; ऊबड़-खाबड़।
9. रोकड़; रुपया-पैसा; धन-दौलत; (कैश)।
10. 1. जहाँ आड़ या रोक के कारण धूप न आती हो; जहाँ छाया रहती हो 2. छाया देने वाला 3. जहाँ शरण मिलती हो।
ऊपर से नीचे
1. 1. शैव साधुओं का एक संप्रदाय; दिगंबर साधु (सदा नग्न रहने वाले) 2. भारत की एक प्रमुख जनजाति 3. नियत समय पर होते रहने वाले काम का किसी बार न होना; अंतराल; बीच 4. आसाम का एक पहाड़।
3. 1. क्रूरतापूर्ण भाव; दरिंदगी; पशुवत भाव; बर्बरता 2. असभ्यता।
4. 1. डुगडुगी की तरह चमड़े से मढ़ा एक बहुत बड़ा वाद्य; डंका; धौंसा 2. ढोल; नक्कारा; दुंदुभि।
5. 1. बहुत कड़ा एवं मज़बूत लोहा; असली लोहा; इस्पात 2. शक्तिशाली।
6. 1. राजाओं या नवाबों आदि का दरबार; राजसभा 2. कचहरी; न्यायालय 3. ड्योढ़ी 4. डेरा; तंबू 5. महल।
8. 1. एक प्रकार का मांगलिक गीत 2. एक प्रहसन जो वर पक्ष की स्त्रियाँ बरात जाने के उपरांत रात में करती हैं; खोईया 3. बतख की जाति का एक पक्षी।
11. 1. वन; जंगल 2. दाह; क्लेश; पीड़ा 3. जंगल में लगने वाली आग।
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